टुमस ट्रांसट्रूमर  नोवेल पुरस्कार विजेता 2011 के ब्लू हाउस के कुछ अंशों का हिंदी अनुवाद . 

अनुवादक- डॉ. कल्पना राजपूत

नीला घर 

चमकते हुए सूरज की रात है. मैं घने जंगल में खड़ा हुआ धुंधली नीली दीवारों वाले घर को देखता हूँ जैसे अभी अभी मेरी मौत हुई हो और मैं नए द्रष्टिकोण से देखता रहा घर को. ये घर  गर्मियों से ज्यादा पार कर चुका था. इसकी लकड़ी चार गुना आनंद और तीन गुना  दुःख से भरी हुई थी. जब इस घर में रहने वाले किसी व्यक्ति की मौत होती है तो इसमें दोबारा रंग किया जाता है. मृतक स्वयं ही बिना ब्रुश के अन्दर से घर को रंग रहा है. 


घर के बहार खुला मैदान है. पहले एक बगीचा था, आज झंकाड़ बन चुका है. घास के स्थाई अवरोधक , घास के गुम्बद, कुशलता का लेख, घास के उपनिषद्, घास के स्केंडिनेवियाई समुद्री लुटेरों का बेडा, घास के अजगरी सिर, भाले और एक घास का साम्राज्य. हद से ज्यादा उगे बगीचे के पार बूमरैंग  का साया फडफडाता है, जो कई बार फेंका गया है. मुझसे पहले इस घर में रहने वाले व्यक्ति से इसका कुछ लेनदेन तो है. लगभग एक बच्चा. एक प्रेरणा आती है उसके पास से, एक विछार, इच्छित कार्य की तरह का एक विचार: "बनाओ... खींचो..." अपनी किस्मत के बहार खींचने को. 

यह घर बच्चे की कला की तरह है. एक प्रतिनिधि बनता बचकानापन जो बढ़ता रहा क्योंकि किसी ने - काफी पहले ही- छोड़ दिया था बच्चा बनाने का उद्देश्य.  दरवाजा खोलो -अन्दर आओ. यहाँ छत में व्यग्रता है और  दीवारों में शांति. बिस्तर के ऊपर  ऊँची लहरों को दूर करता हुआ एक जहाज और हवा जिसे सुनहरा फ्रेम नहीं संभल सकता.  

विचारों की अटकलों से पहले, अटल विकल्पों से पहले यहाँ आना हमेशा अतिशीघ्र होता है. इस ज़िंदगी के लिए धन्यवाद तुम्हें. अब भी मैं उन विकल्पों को याद करता हूँ. सारे रेखाचित्र  वास्तविक बनना चाहते हैं. दूर पानी पर चलता हुआ जहाज का इंजन, गर्मी की रातों के क्षितिज को और फैला देता है. ओस के शूक्ष्मदर्शी शीशों में सुख और दुःख दोनों बड़े हो जाते हैं वास्तव में, बिना जाने हुए की  हम गोता मार रहे हैं. हमारा जीवन से बहन-पन है जो शांति से एक दूसरा रास्ता अपनाता है जब सूरज द्वीपों के पीछे चमकता है!


टुमस ट्रांसट्रूमर की कविता का हिंदी अनुवाद 

अनुवादक- फरहान 

धरती और सूर्य 

सूरज  घर के पीछे से निकल कर,  

गली के बीच मैं आ कर खडा है, 

और अपनी  सुर्ख हवाओं से हम पर साँसे लेता! 

इन्नस्बर्क मैं तुम से अभ विदा लेता हूँ,

लेकिन कल फिर, 

इस  वृद्ध, अध्- मृत जंगल में, 

एक कान्तिमान सूरज निकलेगा!

जहाँ हम काम करेंगे, 

और जीवन बिताएंगे! 







 


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